
हर कहानी एक आवाज़ है
रतलाम, 1 जून 2025 । जब कोई लेखिका पहली बार अपनी कहानियों से समाज को आईना दिखाने निकलती है, तो वह केवल किताब का विमोचन नहीं करती — वह अपने भीतर की सबसे निजी संवेदनाओं को सार्वजनिक करती है। आज शाम 4 बजे रतलाम प्रेस क्लब भवन में लेखिका वैदेही कोठारी की पहली कृति ‘गुनगुनी धूप सी कहानियां’ का विमोचन एक आत्मविश्वास और सामाजिक संवेदना के साथ होने जा रहा है। यह संग्रह उन आवाज़ों को शब्द देता है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है — जैसे सफाईकर्मी की पीड़ा, विकलांग बच्चे की खामोश ज़िद, या गुमनाम औरत के भीतर का टूटता सूरज।
कार्यक्रम में राजनीति, साहित्य और कला जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों की मौजूदगी के बीच, यह किताब विमोचित तो होगी, लेकिन असली विमोचन होगा उन भावनाओं का, जो अब तक सिर्फ मौन थीं।
जिन कहानियों में समाज खुद को देख सकता है
संग्रह की दो कहानियाँ – ‘दर्द न समझे कोई’ और ‘मुझे भीख नहीं मांगना’ – विमोचन से पहले ही पाठकों के बीच चर्चा का विषय बन चुकी हैं।
‘दर्द न समझे कोई’ एक सफाईकर्मी महिला के ज़रिए उस सच्चाई को सामने लाती है, जो गलियों में झाड़ू लगाते हुए गुमनाम रह जाती है। कोरोना काल में जान हथेली पर रखकर काम करने वाले सफाईकर्मी किस तरह आज भी तिरस्कार और वर्गभेद का सामना करते हैं — यह कहानी बिना कोई भाषण दिए पाठकों को झकझोर देती है।
वहीं, ‘मुझे भीख नहीं मांगना’ एक विकलांग बालक दीपक की पीड़ा को उजागर करती है। दीपक भी स्कूल जाना, खेलना, सामान्य जीवन जीना चाहता है — लेकिन उसका संघर्ष सिर्फ शारीरिक नहीं, सामाजिक है। उसका यह संवाद – “माँ, मैं भी दूसरों बच्चों की तरह चलना चाहता हूँ… मुझे भीख नहीं मांगना” – पूरे संग्रह की संवेदनशीलता को एक वाक्य में समेट देता है।
नारे नहीं, नारों के पीछे की खामोशी की पड़ताल
‘गुनगुनी धूप सी कहानियां ’ उन विषयों को उठाती है जो आमतौर पर साहित्यिक विमर्श के केंद्र में नहीं होते। यह संग्रह सफाईकर्मियों, विकलांग बच्चों, घरेलू स्त्रियों, समाज के हाशिये पर खड़े तबकों और उनके संघर्षों को एक सामाजिक संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करता है।
शीर्षक जैसे: ‘हाउस क्वीन’, ‘सबसे घातक कौन?’, ‘धर्म’, ‘ऑफर ऑफर’, ‘अधूरी जीत’, ‘दिखावटी प्रेम, सच्चा या झूठा’ — केवल नाम नहीं, सोचने की शुरुआत हैं।
विमोचन समारोह में शामिल होंगी प्रतिष्ठित हस्तियां
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि होंगी सुश्री ऊषा ठाकुर (पूर्व संस्कृति मंत्री, म.प्र. शासन)। विशेष अतिथि होंगे बाबा सत्यनारायण मौर्य, जो एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त लेखक व कलाकार हैं। अध्यक्षता करेंगी वरिष्ठ शिक्षाविद और साहित्यकार प्रवीणा दवेसर । कार्यक्रम का आयोजन रतलाम प्रेस क्लब भवन में शाम 4 बजे होगा।
लेखिका की पृष्ठभूमि: पत्रकारिता से साहित्य तक की यात्रा
वैदेही कोठारी, रतलाम निवासी, विगत दो दशकों से लेखन और पत्रकारिता से जुड़ी हैं। उनके लेख देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं — नई दुनिया, नायिका, दैनिक भास्कर मधुरिमा, गृह शोभा,नवभारत, सवेरा टाइम्स, हिंदुस्तान टाइम्स, समर सलील पत्रिका–मधुराक्षर , अमर उजाला (रुपायन मैगजीन) हिमाचल पत्रिका , राज एक्सप्रेस आदि।
वे www.ekhabartoday.com की सह-संस्थापक हैं और समाज के ज़मीनी विषयों पर पैनी नज़र रखती हैं। उन्हें हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा पत्र लेखन पुरस्कार, मानव अधिकार महिला सम्मान, और ब्रजभूमि फाउंडेशन द्वारा 101 इन्फ्लुएंसर वीमेन ऑफ इंडिया,सामाजिक कार्यकर्ता,विश्व संवाद केंद्र मालवा मंच जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हैं।
’खुली किताब’ का साहित्यिक मूल्यांकन
गुनगुनी धूप सी कहानियां” केवल एक कहानी संग्रह नहीं, यह समाज के भीतर बहती असंख्य कहानियों की दस्तक है — जो अक्सर दबी रह जाती हैं। वैदेही कोठारी की लेखनी भावुकता को हथियार नहीं बनाती, वह संवेदना को संप्रेषण का माध्यम बनाकर पाठक से संवाद करती है। यह संग्रह समकालीन हिंदी साहित्य में एक विचारशील हस्तक्षेप के रूप में पढ़ा जाएगा।