Responsive Menu

Download App from

Download App

Follow us on

Donate Us

सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर इलाहाबादिया को आंशिक राहत दी, डिजिटल कंटेंट पर संतुलित नियमन की जरूरत बताई

Author Image
Written by
Bureau Report

यूट्यूब से कोर्ट रूम तक

नई दिल्ली, 3 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने आज रणवीर इलाहाबादिया के मामले में उन्हें आंशिक राहत देते हुए उनके शो ‘द रणवीर शो’ पर पूरी तरह से प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर पूरी तरह रोक लगाना समाधान नहीं है। अदालत ने केंद्र सरकार से डिजिटल कंटेंट नियमन को लेकर स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं और यह कहा है कि सोशल मीडिया पर संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल 2025 में होगी।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण दिया गया है, लेकिन इस अधिकार की सीमाएं भी अनुच्छेद 19(2) के तहत तय की गई हैं।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि—
हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अहमियत को पूरी तरह समझते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई भी व्यक्ति अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मर्यादाओं की अनदेखी करे।”

सुप्रीम कोर्ट में हुई प्रमुख बहस

इस मामले में कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण कानूनी बिंदुओं पर चर्चा की, जिसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रश्न उठे—

  • क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट होने वाली सामग्री की निगरानी और नियमन की कोई स्पष्ट व्यवस्था होनी चाहिए?
  • क्या डिजिटल मीडिया और पारंपरिक मीडिया के लिए अलग-अलग मानक होने चाहिए?
  • क्या सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले कंटेंट का प्रभाव ज्यादा व्यापक होता है, जिससे नियमन की जरूरत बढ़ जाती है?

सरकारी पक्ष ने अदालत को बताया कि सोशल मीडिया कंपनियों के लिए पहले से ही दिशानिर्देश मौजूद हैं, लेकिन इनके प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर और अधिक चर्चा की आवश्यकता है।

इलाहाबादिया को मिली आंशिक राहत

सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई में रणवीर इलाहाबादिया को आंशिक राहत प्रदान की। अदालत ने उनके शो “द रणवीर शो” पर पूरी तरह से रोक हटाने का आदेश नहीं दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि भविष्य में यदि शो में सार्वजनिक शालीनता और नैतिकता का उल्लंघन हुआ, तो नियामक संस्थाएं आवश्यक कार्रवाई कर सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि डिजिटल मीडिया नियमन को लेकर क्या अतिरिक्त उपाय किए जा सकते हैं? कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है, बल्कि संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

न्यायिक निर्देश और अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह डिजिटल कंटेंट रेगुलेशन पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। इस मामले को अप्रैल 2025 में दोबारा सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

क्या आगे कोई नया कानूनी मानदंड तय हो सकता है?

हालांकि, इस सुनवाई में कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ, लेकिन यह मामला कई कानूनी पहलुओं को उजागर करता है। संभवतया आगे चलकर निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा हो सकती है..

  • क्या भविष्य में डिजिटल कंटेंट के लिए नई कानूनी रूपरेखा बनेगी?
  • क्या अदालत सोशल मीडिया कंपनियों पर अधिक जवाबदेही तय करने की दिशा में कोई आदेश दे सकती है?
  • इस मामले में अदालत का अंतिम निर्णय यूट्यूब क्रिएटर्स और अन्य डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म्स के लिए क्या मिसाल स्थापित करेगा?
क्या ब्लैक बॉक्स डेटा की रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से जारी की जानी चाहिए?

Advertisement Box
Advertisement Box