गुजरात हाईकोर्ट में हलचल! फाइलें गायब, GHAA का प्रस्ताव और फिर मुख्य न्यायाधीश का अवकाश – क्या यह सिर्फ संयोग है?

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कड़वा-मीठा सच

-नीलेश कटारिया

अहमदाबाद, 18 फरवरी। गुजरात हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल अचानक अवकाश पर चली गईं।
गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (GHAA) द्वारा मुख्य न्यायाधीश के स्थानांतरण की मांग करने के ठीक बाद उनका अवकाश लेना, न्यायिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बन गया है।

क्या यह पूर्व निर्धारित अवकाश था, या फिर हालिया घटनाक्रमों के चलते लिया गया एक रणनीतिक कदम?
क्या GHAA के प्रस्ताव और न्यायिक हलकों में उठते सवालों के कारण इस अवकाश की टाइमिंग पर संदेह किया जाना चाहिए?

सवाल कई हैं, लेकिन जवाब अभी तक किसी के पास नहीं हैं।

कैसे शुरू हुआ यह विवाद?

इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब 13 फरवरी 2025 को जस्टिस संदीप भट्ट ने गुजरात हाईकोर्ट में एक आदेश पारित किया, जिसमें न्यायिक प्रक्रिया में अनियमितताओं और केस फाइलों के गायब होने का जिक्र किया गया था।

आदेश में क्या था?

2010 के एक आपराधिक मामले की मूल केस फाइल एक अदालत से गायब हो गई थी।
यह पहली बार नहीं था—पिछले कुछ वर्षों में कई अहम केस फाइलें गायब हो चुकी थीं।
हाईकोर्ट प्रशासन को जवाबदेह बनाते हुए जस्टिस भट्ट ने कार्रवाई के संकेत दिए।

यह आदेश पारित होते ही एक अप्रत्याशित घटनाक्रम हुआ—ठीक कुछ दिनों बाद, 13 फरवरी के आदेश के बाद, जस्टिस संदीप भट्ट का रोस्टर बदल दिया गया।

क्या यह सिर्फ एक संयोग था?

GHAA की असाधारण बैठक और प्रस्ताव

जब जस्टिस संदीप भट्ट के आदेश और उसके बाद हुए घटनाक्रम की खबर बाहर आई, तो 17 फरवरी 2025 को गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन (GHAA) ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई।

बैठक में क्या हुआ?

अधिवक्ताओं ने इस पूरे घटनाक्रम को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा बताया।
मुख्य न्यायाधीश के निर्णयों पर सवाल उठाते हुए, उनके स्थानांतरण की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया।
GHAA ने यह प्रस्ताव भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) को भेजने का निर्णय लिया।

इस बैठक के अगले ही दिन, यानी 18 फरवरी को, मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल अचानक अवकाश पर चली गईं।

अब सवाल उठता है—क्या GHAA के प्रस्ताव और उनके अवकाश की टाइमिंग केवल एक संयोग है?

न्यायिक गलियारों में उठते सवाल—संयोग या रणनीति?

वरिष्ठ अधिवक्ताओं और कानूनी विशेषज्ञों के बीच अब यह बहस शुरू हो गई है कि क्या यह अवकाश सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय था, या फिर न्यायिक दबाव का संकेत?

GHAA का प्रस्ताव, सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुकी जानकारी, और न्यायिक प्रक्रिया में उठते सवालों के बीच मुख्य न्यायाधीश का अवकाश लेना महज़ संयोग नहीं लग रहा।
अगर यह एक रणनीतिक कदम था, तो क्या यह न्यायपालिका में किसी आंतरिक दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप की ओर इशारा करता है?

हालांकि, यह भी सच है कि किसी भी न्यायाधीश को अवकाश लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है, और इसके लिए उन्हें किसी को जवाब देने की जरूरत नहीं होती।

लेकिन GHAA के प्रस्ताव के तुरंत बाद मुख्य न्यायाधीश का अवकाश पर जाना—क्या यह सिर्फ एक सामान्य प्रक्रिया थी, या फिर पर्दे के पीछे कोई बड़ा खेल चल रहा है?

न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा बनाए रखने की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, इस घटनाक्रम को गहराई से समझने और निष्पक्ष दृष्टिकोण से परखने की आवश्यकता है।

अब आगे क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता है?

अब यह सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस पूरे घटनाक्रम को संज्ञान में लेगा और कोई ठोस कदम उठाएगा?

संभावित परिदृश्य:

1. सुप्रीम कोर्ट एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित कर सकता है, जो हाईकोर्ट में फाइलों के गायब होने और जस्टिस संदीप भट्ट के रोस्टर बदलने की जांच करेगी।

2. अगर सुप्रीम कोर्ट को यह लगता है कि उनका रोस्टर किसी दबाव में बदला गया, तो उसे फिर से बहाल किया जा सकता है।

3. GHAA के प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश के स्थानांतरण पर विचार कर सकता है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को किस तरह से हैंडल करता है।

‘खुली किताब’ ने निभाई अपनी जिम्मेदारी

‘खुली किताब’ ने इस पूरे घटनाक्रम को निष्पक्षता और गहराई से विश्लेषित कर आपके सामने रखा है।

अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है
GHAA के प्रस्ताव के बाद मुख्य न्यायाधीश का अचानक अवकाश पर जाना क्या मात्र संयोग है?
क्या सुप्रीम कोर्ट इस पूरे विवाद में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कदम उठाएगा?
क्या न्यायमूर्ति संदीप भट्ट का स्थानांतरण निरस्त किया जाएगा?
और सबसे महत्वपूर्ण—क्या गायब हुई फाइल का सच सामने आएगा?

खुली किताब’ इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी पैनी नजर बनाए रखेगा और आपको हर अपडेट पहुंचाता रहेगा।

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