
अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में रहा विफल: विशेष न्यायालय
रतलाम, 11 फरवरी। करीब छह वर्ष पूर्व दीनदयाल नगर थाने में पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) पर हमले के प्रयास के साथ शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने और जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने के मामले में विशेष न्यायालय (अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम) ने दो आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
विशेष न्यायाधीश रवीन्द्र सिंह चुण्डावत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा।
यह था मामला
अभियोजन के अनुसार, 28 फरवरी 2018 की रात ढाई बजे, एएसआई अजमेर सिंह भूरिया गश्त के दौरान सागोद रोड स्थित आजाद मुनि आश्रम के पास पहुंचे, जहां योगेश राठौड़ को सड़क पर बैठकर बीयर पीते देखा।
एएसआई के मना करने पर योगेश ने गाली-गलौज करते हुए जातिसूचक टिप्पणी की। इस दौरान योगेश का भाई शुभम भी वहां आया और दोनों भाइयों ने मिलकर एएसआई के साथ अभद्रता करते हुए पत्थर से हमला करने का प्रयास किया।
कानूनी कार्यवाही और न्यायालय का निर्णय
इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 353, 186, 294, 506, 34 और अजा-जजा अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया गया।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियुक्त पक्ष के अधिवक्ता तुषार कोठारी ने सफलतापूर्वक तर्क रखा कि अभियोजन की कहानी विरोधाभासी और अविश्वसनीय है।
बचाव पक्ष ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर यह भी साबित किया कि अभियुक्तों पर हमले का आरोप निराधार है, बल्कि पुलिस द्वारा ही अभियुक्तों के साथ मारपीट की गई थी ।
न्यायालय ने बचाव पक्ष की तर्क संगत दलीलों को स्वीकार करते हुए दोनों आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।