अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने बलात्कार के दोषी नारायण साईं की अंतरिम जमानत याचिका पर्याप्त मेडिकल दस्तावेज के अभाव में अस्वीकार कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता साईं ने अंतरिम जमानत याचिका वापस ले ली। साईं तथाकथित धर्मगुरु आसाराम बापू का पुत्र है।
नारायण साईं ने अपनी याचिका में अपने बीमार पिता की देखभाल के लिए 20 दिन की अंतरिम जमानत की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि उनके पिता गंभीर रूप से बीमार है और अभी वे अस्पताल में भर्ती है। न्यायाधीश ए.एस. सुपेहिया एवं न्यायाधीश विमल के. व्यास की खंडपीठ ने याचिका में सम्मिलित अपर्याप्त मेडिकल दस्तावेज से असंतुष्ट होकर अंतरिम जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि तमाम मेडिकल दस्तावेज को शपथ पत्र के साथ दायर किया जाएं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत याचिका को वापस ले लिया।
नही है नारायण साई पर हाई कोर्ट को भरोसा
इससे पूर्व भी सन 2022 में साईं ने अंतरिम जमानत के लिए फर्जी मेडिकल दस्तावेज के आधार पर गुजरात उच्च न्यायालय में अंतरिम जमानत याचिका दायर की थी। मेडिकल दस्तावेजों की जांच-पड़ताल के बाद जाली पाए गए दस्तावेज के चलते उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। साईं के अनैतिक कृत्य को देखते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि “हमे तुम पर भरोसा नहीं है..अतः मेडिकल दस्तावेजों को शपथ पत्र के साथ दायर किया जाए।”
गौरतलब है कि नारायण साईं एक महिला से यौन उत्पीडन प्रकरण में दोषी पाए जाने के बाद से ही सूरत जेल में बंद है। साईं के खिलाफ सन 2013 में पीड़ित महिला ने जहांगीरपुरा पुलिस स्टेशन पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376(2C), 377,354,357,342,323,504,506(2),120B,212,153 एवं 114 के तहत प्रकरण दर्ज करवाया था। यह भी उल्लेखनीय है कि साईं के पिता आसाराम भी बलात्कार प्रकरण में दोषी पाए जाने के बाद राजस्थान की एक जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे है।