ब्रह्माकुमारियां: आध्यात्मिकता और नारी शक्ति का अद्वितीय संगम

ब्रह्माकुमारियां: आध्यात्मिकता और नारी शक्ति का अद्वितीय संगम

इन्हे भी जरूर देखे

ब्रह्माकुमारियां: आध्यात्मिकता और नारी शक्ति का अद्वितीय संगम

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष –बीके भरत शाह गांधीनगर (गुजरात), 8 मार्च। "नारी नरक का द्वार नहीं, बल्कि समाज के उत्थान की आधारशिला है।" यह कथन...

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: कोटक महिंद्रा बैंक का केस चंडीगढ़ से कोयंबटूर स्थानांतरित, बैंकों की मनमानी पर लगाम

नई दिल्ली, 7 मार्च | सुप्रीम कोर्ट ने कोटक महिंद्रा बैंक द्वारा दर्ज चेक बाउंस मामले को चंडीगढ़ से कोयंबटूर स्थानांतरित करने का आदेश...

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष

–बीके भरत शाह


गांधीनगर (गुजरात), 8 मार्च। “नारी नरक का द्वार नहीं, बल्कि समाज के उत्थान की आधारशिला है।” यह कथन केवल एक विचार नहीं, बल्कि इसे हकीकत में बदलने का कार्य ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने किया है। इस संस्था ने यह प्रमाणित किया है कि यदि महिलाओं को नेतृत्व और निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिले, तो वे न केवल स्वयं को बल्कि पूरे समाज को सशक्त बना सकती हैं।

यह संस्थान सिर्फ धार्मिक या आध्यात्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, आत्म-विकास, अनुशासन, समाज सेवा और आध्यात्मिक जागरूकता का भी केंद्र है। यहाँ सिखाई जाने वाली राजयोग ध्यान साधना लोगों को मानसिक शांति, आत्मबल और सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती है। यहाँ का अनुशासन, सेवा भाव और आत्मनिर्भरता की शिक्षा इसे दुनिया की अन्य संस्थाओं से अलग बनाती है।

संस्थान न केवल नारी सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सुधार, नशामुक्ति, शिक्षा और समाज उत्थान के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इसका प्रभाव इतना व्यापक है कि लाखों लोग इससे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।


संस्थान की ऐतिहासिक नींव

1937 में दादा लेखराज कृपलानी, जो एक सफल हीरा व्यापारी थे, ने समाज में नारी उत्थान की आवश्यकता को समझते हुए अपनी पूरी संपत्ति त्यागकर ब्रह्माकुमारीज संस्थान की नींव रखी। उन्होंने इसे एक ट्रस्ट में परिवर्तित कर महिलाओं को संचालन की संपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी।

  • वर्ष 1950 में संस्थान का अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू में स्थापित हुआ।

  • प्रारंभ में ओम मंडली के रूप में शुरू हुए इस संगठन का नाम बदलकर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय रखा गया।

  • वर्तमान में, 140 से अधिक देशों में 5000 से अधिक सेवाकेंद्र कार्यरत हैं।

  • 50,000 से अधिक समर्पित ब्रह्माकुमारी बहनें और 20 लाख नियमित विद्यार्थी इससे जुड़े हुए हैं।


ब्रह्माकुमारी बनने की साधना: सात साल की तपस्या

संस्थान से जुड़ना तो आसान है, लेकिन ब्रह्माकुमारी बनना त्याग, तपस्या और अनुशासन का मार्ग है। यहां न केवल आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है, बल्कि एक साधना प्रक्रिया भी अपनाई जाती है, जो आत्म-शुद्धि और सेवा के लिए समर्पण की ओर ले जाती है।

  • पहले तीन साल तक सेवाकेंद्र में रहकर जीवनशैली, अनुशासन और आध्यात्मिक मूल्यों का मूल्यांकन किया जाता है।
  • इसके बाद सात साल तक संस्थान के ईश्वरीय संविधान के अनुसार जीवन व्यतीत करने के बाद ही ब्रह्माकुमारी के रूप में स्वीकृति दी जाती है।
  • इस दौरान साधक को राजयोग ध्यान, ब्रह्मचर्य, सेवा और आध्यात्मिक सिद्धांतों का पालन करना होता है।

यह केवल एक साधारण शिक्षण प्रक्रिया नहीं, बल्कि आत्म-परिवर्तन और समाज सेवा की दिशा में एक गहरी साधना है।


संस्थान का सामाजिक योगदान और प्रमुख विशेषताएँ

ब्रह्माकुमारी संस्थान केवल आध्यात्मिक जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सुधार और विश्व कल्याण के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

प्रमुख सामाजिक योगदान:

  • नशामुक्ति अभियान: पूरे विश्व में शराब, तंबाकू और नशीले पदार्थों के विरुद्ध जागरूकता अभियान।
  • यौगिक कृषि एवं जैविक खेती को बढ़ावा: किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती के महत्व को समझाना।
  • बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में योगदान: नारी शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना।
  • राजयोग मेडिटेशन द्वारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधार: लाखों लोग ध्यान साधना के माध्यम से तनावमुक्त जीवन जी रहे हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण हेतु कल्पतरुह अभियान: 2022 में 16 लाख से अधिक पौधे रोपे गए, जिससे प्रकृति संतुलन बनाए रखने में सहायता मिली।

संयुक्त राष्ट्र (UNO) ने 1981, 1986 और 1987 में ब्रह्माकुमारियों को ‘पीस मैसेंजर अवार्ड’ से सम्मानित किया है, जो विश्व शांति और सामाजिक योगदान में उनके असाधारण कार्यों को दर्शाता है।


संस्थान की प्रमुख विशेषताएँ:

  • महिला नेतृत्व: पूरी संस्था महिलाओं द्वारा संचालित।
  • सार्वभौमिक संदेश: न केवल भारत, बल्कि 140 देशों में सेवाकेंद्र
  • आध्यात्मिक अनुशासन: राजयोग और ध्यान पर विशेष जोर।
  • सामाजिक परिवर्तन: नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, नारी जागरूकता में सक्रिय योगदान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा था—
“ब्रह्माकुमारियां यह सिद्ध कर चुकी हैं कि यदि महिलाओं को अवसर मिले, तो वे नेतृत्व में भी पुरुषों से आगे रह सकती हैं।”

राजयोग मेडिटेशन: आत्म-शक्ति और मानसिक शुद्धि का स्रोत

ब्रह्माकुमारी संस्थान केवल आध्यात्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजयोग ध्यान (मेडिटेशन) के माध्यम से आत्म-निरीक्षण, आत्म-विश्लेषण और मानसिक शुद्धि की दिशा में भी कार्य करता है।

सात दिवसीय निःशुल्क राजयोग मेडिटेशन कोर्स कराया जाता है, जिसमें—

  • आत्मा-परमात्मा का सत्य परिचय
  • सृष्टि चक्र का रहस्य
  • कर्मों की गहन गति और उसका प्रभाव
  • राजयोग ध्यान की विधि
  • मन को शुद्ध और शांत रखने की कला
  • पवित्रता का महत्व

के साथ सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के उपाय
समझाए जाते हैं।

इस राजयोग साधना से मन का प्रदूषण समाप्त होता है, नकारात्मकता दूर होती है और व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए प्रेरित होता है।

“राजयोग से न केवल आत्मा बलशाली बनती है, बल्कि व्यक्ति का संपूर्ण व्यक्तित्व आध्यात्मिक ऊर्जाओं से ओतप्रोत हो जाता है।”
– राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि

पाँच प्रमुख महिला प्रशासिकाएँ: आध्यात्मिक नेतृत्व की प्रतीक एवं मातृशक्ति का अद्वितीय उदाहरण

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का संचालन हमेशा महिलाओं के नेतृत्व में रहा है, जो इसे दुनिया के अन्य आध्यात्मिक संगठनों से अलग बनाता है। इस संस्था की पाँच प्रमुख महिला प्रशासिकाओं ने अपने दिव्य गुणों, आत्म-शक्ति और सेवा भावना से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।

राजयोगिनी मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती (मम्मा) (1937-1965)

वे संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका थीं।
उनकी शुद्धता, दृढ़ता और नेतृत्व क्षमता अद्भुत थी।
वे संस्थापक ब्रह्मा बाबा की प्रमुख सहयोगी रहीं और संस्थान की आध्यात्मिक नींव को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
24 जून 1965 को वे अव्यक्त हो गईं, लेकिन उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।


राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि (1965-2007)

दूसरी मुख्य प्रशासिका, जिन्होंने संस्थान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उनके नेतृत्व में ब्रह्माकुमारीज का विस्तार 100 से अधिक देशों में हुआ।
वे 1981 और 1986 में संयुक्त राष्ट्र (UNO) द्वारा ‘पीस मैसेंजर अवार्ड’ से सम्मानित हुईं।
25 अगस्त 2007 को उन्होंने देह त्याग किया, लेकिन उनकी शिक्षाएँ आज भी संस्थान की रीढ़ बनी हुई हैं।


राजयोगिनी दादी जानकी (2007-2020)

वे तीसरी मुख्य प्रशासिका बनीं और 104 वर्ष की आयु तक संस्थान की सेवा की।
उनका मन दुनिया का सबसे स्थिर मन माना गया, जिसका टेक्सास यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक अध्ययन भी हुआ।
उन्होंने 60 वर्ष की उम्र में विदेश यात्राएँ शुरू कीं और 100 से अधिक देशों में राजयोग और आध्यात्म का प्रचार किया।
27 मार्च 2020 को उन्होंने देह त्याग किया, लेकिन उनका “स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन” का संदेश आज भी लोगों को प्रेरित कर रहा है


राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी (गुलजार दादी) (2020-2021)

वे संस्थान की चौथी मुख्य प्रशासिका बनीं।
उनकी निर्मलता, सहजता और आत्मिक प्रेम सभी को प्रभावित करता था।
उन्हें ब्रह्मा बाबा के दिव्य संदेशों को संप्रेषित करने की शक्ति प्राप्त थी, जिससे वे संवाद दादी के नाम से भी प्रसिद्ध हुईं।
11 मार्च 2021 को उन्होंने देह त्याग किया, लेकिन उनका प्रेम और आध्यात्मिकता का संदेश आज भी प्रेरणा बना हुआ है।


राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी (2021-वर्तमान)

वे संस्थान की पाँचवीं और वर्तमान मुख्य प्रशासिका हैं।
101 वर्ष की आयु में भी वे संस्थान का नेतृत्व कर रही हैं।
वे संगठन की सबसे अनुभवी दादियों में से एक हैं, जो पिछले कई दशकों से आध्यात्मिक सेवाएँ दे रही हैं।
उनके नेतृत्व में संस्थान का विस्तार और सामाजिक कार्यों में और अधिक वृद्धि हुई है।

इन पाँच दिव्य आत्माओं ने नारी सशक्तिकरण और आध्यात्मिक नेतृत्व का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका जीवन संदेश देता है कि आध्यात्मिकता, समर्पण और प्रेम के माध्यम से दुनिया को शांति और शक्ति प्रदान की जा सकती है।


शांतिवन: संस्थान का वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र

  • 25,000 लोगों के रहने और भोजन की सुविधा
  • 18,000 वॉट सौर ऊर्जा उत्पादन
  • 40,000 लोगों के लिए केवल 2 घंटे में भोजन तैयार करने की हाईटेक व्यवस्था

ब्रह्माकुमारियां: नारी शक्ति और आध्यात्मिकता का अद्वितीय संगम

ब्रह्माकुमारियां ने यह सिद्ध कर दिया है कि “मैं शिव की शक्ति हूं” केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि नारी की वास्तविकता है।

आज जब दुनिया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रही है, ऐसे में ब्रह्माकुमारियों का यह योगदान नारी सशक्तिकरण का सबसे जीवंत उदाहरण है।

यदि एक महिला शिक्षित होती है, तो पूरा परिवार शिक्षित होता है। यदि महिला आध्यात्मिक रूप से सशक्त होती है, तो पूरा समाज जागरूक बनता है।”

नारी शक्ति के इस अद्वितीय आध्यात्मिक आंदोलन को नमन!


 

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इन्हे भी जरूर देखे

ब्रह्माकुमारियां: आध्यात्मिकता और नारी शक्ति का अद्वितीय संगम

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष –बीके भरत शाह गांधीनगर (गुजरात), 8 मार्च। "नारी नरक का द्वार नहीं, बल्कि समाज के उत्थान की आधारशिला है।" यह कथन...

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: कोटक महिंद्रा बैंक का केस चंडीगढ़ से कोयंबटूर स्थानांतरित, बैंकों की मनमानी पर लगाम

नई दिल्ली, 7 मार्च | सुप्रीम कोर्ट ने कोटक महिंद्रा बैंक द्वारा दर्ज चेक बाउंस मामले को चंडीगढ़ से कोयंबटूर स्थानांतरित करने का आदेश...

महाकुंभ 2025: जादू का आईना या सच का मुखौटा?

बात करामात – नीलेश कटारिया बहुत समय पहले की बात है। एक धर्मपरायण राजा था, जिसे अपनी न्यायप्रियता पर बड़ा गर्व था। राजा का मानना था...

Must Read

अब एडवोकेट की चालाकी नहीं चलेगी! सुप्रीम कोर्ट ने दी अहम कानूनी टिप्पणी

मुवक्किल के अधिकार सर्वोपरि: सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट की जवाबदेही तय की! –सलोनी कटारिया अहमदाबाद, 10 मार्च। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट और मुवक्किल...

ब्रह्माकुमारियां: आध्यात्मिकता और नारी शक्ति का अद्वितीय संगम

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष –बीके भरत शाह गांधीनगर (गुजरात), 8 मार्च। "नारी नरक का द्वार नहीं, बल्कि समाज के उत्थान की आधारशिला है।" यह कथन...

महाकुंभ 2025: जादू का आईना या सच का मुखौटा?

बात करामात – नीलेश कटारिया बहुत समय पहले की बात है। एक धर्मपरायण राजा था, जिसे अपनी न्यायप्रियता पर बड़ा गर्व था। राजा का मानना था...