नई दिल्ली, 7 मार्च | सुप्रीम कोर्ट ने कोटक महिंद्रा बैंक द्वारा दर्ज चेक बाउंस मामले को चंडीगढ़ से कोयंबटूर स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता श्री सेंधुर एग्रो एंड ऑयल इंडस्ट्रीज ने दलील दी थी कि पूरा वित्तीय लेनदेन तमिलनाडु में हुआ था, इसलिए चंडीगढ़ में केस दर्ज करना अनुचित और केवल प्रताड़ना का साधन था। कोर्ट ने बैंक की इस रणनीति को ‘न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग’ माना और साफ किया कि मुकदमेबाजी का उद्देश्य कानूनी उत्पीड़न नहीं, बल्कि न्याय दिलाना होना चाहिए।
मामले की पृष्ठभूमि
कोटक महिंद्रा बैंक ने ₹21 लाख के चेक बाउंस होने के आरोप में श्री सेंधुर एग्रो एंड ऑयल इंडस्ट्रीज के खिलाफ चंडीगढ़ की अदालत में मामला दर्ज किया था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में मामला कोयंबटूर स्थानांतरित करने की अपील की और निम्नलिखित तर्क दिए—
- संपूर्ण लेनदेन कोयंबटूर में हुआ था।
- बैंक खाता, लोन स्वीकृति और ईएमआई भुगतान तमिलनाडु में ही हुए।
- चंडीगढ़ में कोई वैधानिक कारण नहीं था मामला दर्ज करने का।
- बैंक ने जानबूझकर अलग-अलग राज्यों में मुकदमे दायर कर प्रताड़ित करने की कोशिश की।
कोर्ट ने बैंक से जवाब मांगा, लेकिन ठोस सफाई नहीं मिली
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर 2024 को बैंक से स्पष्ट करने को कहा था कि जब पूरा लेनदेन कोयंबटूर में हुआ तो फिर मामला चंडीगढ़ में क्यों दर्ज किया गया? बैंक ने केवल यह तर्क दिया कि उनका कलेक्शन अकाउंट चंडीगढ़ में है, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि—
- केवल कलेक्शन अकाउंट के आधार पर किसी अन्य राज्य में मामला दर्ज करना अनुचित है।
- जहां पूरा वित्तीय विवाद हुआ है, मुकदमा वहीं चलना चाहिए।
- बैंकों को मुकदमे सही क्षेत्राधिकार में ही दर्ज करने चाहिए।
बैंक की मनमानी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
- याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि बैंक पहले ही SARFAESI अधिनियम के तहत कोयंबटूर में कर्ज वसूली की कार्रवाई कर रहा था।
- कोर्ट ने माना कि एक ही मामले में अलग-अलग राज्यों में मुकदमे चलाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
- इस संदर्भ में कोर्ट ने नवपवित्रा जी बनाम चोलामंडलम फाइनेंस (2024) और ब्लू लाइन एंटरटेनमेंट बनाम कोटक महिंद्रा बैंक (2022) जैसे मामलों का हवाला दिया, जिनमें कहा गया था कि बैंकों को मुकदमे वहीं दर्ज करने चाहिए, जहां असली लेनदेन हुआ हो।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि—
- केस को चंडीगढ़ से कोयंबटूर स्थानांतरित किया जाए।
- बैंकों द्वारा अलग-अलग राज्यों में मुकदमे दायर करने की प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए।
- न्यायिक प्रक्रिया का उपयोग केवल न्याय दिलाने के लिए किया जाना चाहिए, न कि किसी पक्ष को परेशान करने के लिए।
न्यायिक प्रक्रिया के लिए मिसाल बनेगा यह फैसला
यह निर्णय उन कंपनियों और कारोबारियों के लिए बड़ी राहत है, जिन्हें बैंकों द्वारा अलग-अलग राज्यों में मुकदमे दर्ज कर प्रताड़ित किया जाता है।
अब बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे मुकदमे सही न्यायिक क्षेत्र में ही दर्ज करें, अन्यथा वे कानूनी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
यह फैसला न्यायिक पारदर्शिता और कानूनी निष्पक्षता को बनाए रखने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बैंकों की मनमानी पर एक बड़ी चोट है और भविष्य में कानूनी प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक मिसाल कायम करेगा।