डिजिटल युग के छिपे खतरे – साइबर ठगी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर विस्तृत विश्लेषण

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खुली किताब की पड़ताल

(रिसर्च टीम द्वारा तैयार विशेष रिपोर्ट)
भारत में डिजिटल क्रांति ने एक अभूतपूर्व बदलाव लाया है। बैंकिंग से लेकर व्यापार, सोशल मीडिया से लेकर सरकारी सेवाओं तक, हर चीज़ अब ऑनलाइन हो चुकी है। लेकिन जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे साइबर अपराधों की घटनाएँ भी तेज़ रफ्तार से बढ़ रही हैं। क्या आप जानते हैं? वर्ष 2024 के पहले चार महीनों (जनवरी से अप्रैल) में भारत में साइबर ठगी के 7,40,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनसे देश को लगभग 1,750 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त, दक्षिण-पूर्व एशिया से संचालित साइबर घोटालों के कारण भारत को 1,776 करोड़ रुपये का सीधा आर्थिक घाटा उठाना पड़ा। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है और यह बताने के लिए पर्याप्त है कि डिजिटल सुविधा के साथ-साथ किस हद तक साइबर खतरे भी बढ़ रहे हैं। ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड, फिशिंग, डेटा चोरी, रैंसमवेयर अटैक और सोशल मीडिया हैकिंग जैसी घटनाएँ अब आम हो चुकी हैं।

I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) और NCRB (National Crime Records Bureau) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर दिन हजारों लोग साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। साइबर ठगों के सबसे ज्यादा निशाने पर ऑनलाइन बैंकिंग और यूपीआई उपयोगकर्ताई-कॉमर्स खरीदार, और सोशल मीडिया अकाउंट होल्डर्स बने हुए है। साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डीपफेक, फेक बैंकिंग ऐप्स और डार्क वेब जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर मासूम लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी एजेंसियों, रक्षा तंत्र और महत्वपूर्ण संस्थानों पर साइबर हमले भारत की सुरक्षा नीति के लिए एक नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं।क्या भारत इन खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है?

सरकारें नए साइबर सुरक्षा कानून लागू कर रही हैं, बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों ने सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया है, और साइबर क्राइम सेल लगातार मामलों की जांच में जुटी हैं। लेकिन क्या ये प्रयास पर्याप्त हैं? अगर नहीं, तो अब क्या किया जाना चाहिए? खुली किताब की इस विशेष पड़ताल में हम साइबर ठगी के नए और खतरनाक तरीकोंराष्ट्रीय सुरक्षा के सामने खड़ी साइबर चुनौतियोंसरकार की मौजूदा रणनीतियों, और आम नागरिकों के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों पर गहराई से विश्लेषण करेंगे।

साइबर ठगी और मानव तस्करी: भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए नया संकट

भारत में साइबर अपराधों की बढ़ती लहर अब केवल डिजिटल धोखाधड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संगठित मानव तस्करी का रूप ले चुकी है। दक्षिण-पूर्व एशिया में सक्रिय साइबर गिरोह सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए बेरोजगार युवाओं और तकनीकी विशेषज्ञों को आकर्षक नौकरियों का झांसा देकर फंसाते हैं। एक बार जाल में फंसने के बाद, पीड़ितों को जबरन साइबर अपराधों में धकेल दिया जाता है, जहां वे अवैध ऑनलाइन घोटालों और वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए मजबूर होते हैं।

ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन (ORF) के अनुसार वर्ष 2024 में साइबर अपराधों के कारण भारत को कुल 20,000 करोड़ रुपये तक के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। केवल आर्थिक क्षति के अलावा यह समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी है। तस्करी के इस नए डिजिटल स्वरूप में जबरन अपराध (Forced Criminality) एक नई चुनौती बनकर उभरा है, जहां पीड़ितों को कानून-व्यवस्था से बचने के लिए मजबूर किया जाता है।

इससे निपटने के लिए भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को साइबर सुरक्षा उपायों को सशक्त बनाना होगा। अंतरराष्ट्रीय सहयोग, डेटा-साझाकरण व्यवस्था, साइबर अपराध नियंत्रण के लिए विशेष टीमें, और पीड़ितों की सुरक्षित वापसी हेतु ठोस नीति आवश्यक है। साथ ही, डिजिटल साक्षरता और साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि आम नागरिक ऐसे जाल में फंसने से बच सकें।

इस संकट के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, अब यह केवल एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकता बन चुका है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, भारत में साइबर अपराधों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी गई है। हालाँकि, एक चिंताजनक पहलू यह है कि 2020 से 2022 के बीच दर्ज किए गए साइबर अपराध मामलों में सजा दर केवल 1.6% रही है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में 2020 में 11,000 मामलों में से केवल 642 व्यक्तियों को सजा मिली, जबकि कर्नाटक में 10,741 मामलों में से केवल दो व्यक्तियों को सजा मिली। साइबर अपराधों के नवीनतम आंकड़े (डेटा विज़ुअलाइजेशन) साइबर अपराधों की वास्तविकता को समझने के लिए, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB), और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों पर नजर डालते हैं:

  • I4C के अनुसार: 2024 के पहले चार महीनों (जनवरी-अप्रैल) में 4.70 लाख साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज की गईं, जिसमें लगभग ₹1,750 करोड़ की ठगी हुई।
  • NCRB की 2023 की रिपोर्ट के अनुसारभारत में साइबर अपराधों के कुल 64,250 मामले दर्ज किए गए, जिसमें ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी, पहचान की चोरी और सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों की संख्या सबसे अधिक थी।
  • RBI के अनुसार: 2023 में ऑनलाइन बैंकिंग और यूपीआई फ्रॉड के मामलों में 42% की वृद्धि हुई। इंडिया टीवी के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में ऑनलाइन भुगतान धोखाधड़ी के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। RBI की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में साइबर अपराधियों ने लगभग ₹1,457 करोड़ की ठगी की। फॉर्च्यून इंडिया के अनुसार  सितंबर 2024 तक, UPI भुगतान धोखाधड़ी के 6.32 लाख मामले दर्ज किए गए, जिनमें लगभग ₹485 करोड़ की राशि शामिल थी।

ये आंकड़े आधिकारिक रूप से दर्ज साइबर अपराधों पर आधारित हैं, लेकिन ऐसे कई मामले हैं जो रजिस्टर्ड नहीं होते हैं। अनुमानित तौर पर साइबर अपराधों की वास्तविक संख्या सरकारी आंकड़ों से लगभग 30-40% अधिक हो सकती है, क्योंकि कई पीड़ित पुलिस या साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं और कई मामलों में पुलिस या साइबर क्राइम सेल आनाकानी करती है।

अनुमानित रूप से सबसे अधिक धोखाधड़ी निम्नलिखित सिस्टम में हो रही हैं:

ई-कॉमर्स धोखाधड़ी – नकली वेबसाइट्स और फर्जी खरीदारी

ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर नकली वेबसाइट्स या क्लोन साइट्स के जरिए उपभोक्ताओं को लुभावने ऑफर्स दिखाए जाते हैं। लोग सस्ते दामों पर वस्तुएं ऑर्डर कर लेते हैं, लेकिन उन्हें या तो नकली उत्पाद मिलता है या ऑर्डर के बाद कंपनी ही गायब हो जाती है।

कस्टमर केयर और बैंकिंग हेल्पलाइन स्कैम – फेक कॉल्स द्वारा निजी जानकारी हासिल करना

साइबर अपराधी बैंकों, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म या सरकारी एजेंसियों के नाम पर फेक हेल्पलाइन नंबर सेट कर लोगों को धोखा देते हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति गूगल पर बैंक हेल्पलाइन या ई–कॉमर्स प्लेटफार्म हेल्पलाइन नंबर खोजता है, उन्हें साइबर ठगों द्वारा बनाए गए नकली नंबर मिलते हैं। फोन करने पर वे ओटीपी, कार्ड डिटेल्स और पिन पूछकर खाते से पैसे निकाल लेते हैं।

UPI QR कोड स्कैम – फर्जी QR कोड के जरिए भुगतान ठगी

साइबर अपराधी नकली QR कोड जनरेट कर दुकानों, पेट्रोल पंपों, या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चिपका देते हैं। जब लोग पेमेंट करने के लिए QR कोड स्कैन करते हैं, तो पैसा उनके खाते से अपराधियों के अकाउंट में चला जाता है।

AI-आधारित साइबर अपराध – डीपफेक और वॉयस क्लोनिंग द्वारा धोखाधड़ी

नए साइबर अपराधों में डीपफेक तकनीक और वॉयस क्लोनिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। अपराधी किसी व्यक्ति की आवाज़ और चेहरे का डिजिटल क्लोन बनाकर उनके परिवार या दोस्तों को फोन करके पैसे मांगते हैं।

साइबर अपराधों के चर्चित मामले (Case Studies)

साइबर अपराधों की गंभीरता को समझने के लिए कुछ चर्चित मामलों पर नजर डालते हैं: विजय माल्या और नीरव मोदी केस: इन कॉरपोरेट घरानों ने कथित तौर पर डिजिटल तकनीक का उपयोग कर बैंकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की।

  • विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस के नाम पर कई बैंकों से ऋण लिया और बाद में भारत से फरार हो गए। उन्होंने डिजिटल बैंकिंग सिस्टम की खामियों का फायदा उठाया और पैसे विदेशों में ट्रांसफर कर दिए।
  •  नीरव मोदी ने SWIFT मैसेजिंग सिस्टम का दुरुपयोग कर बैंकों से हजारों करोड़ों रुपये का लोन लिया और इसे फर्जी कंपनियों में स्थानांतरित कर दिया।
  • जमताड़ा साइबर क्राइम सिंडिकेट: झारखंड का जमताड़ा जिला साइबर ठगी का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है।यहां 10,000 से अधिक साइबर अपराधी सक्रिय हैं, जो फिशिंग कॉल्स, बैंकिंग फ्रॉड और ऑनलाइन ठगी को अंजाम देते हैं।
  • जमताड़ा मॉडल का इस्तेमाल अब राजस्थान, पश्चिम बंगाल, और बिहार में भी बढ़ रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े साइबर हमले

हाल ही में भारत की कई सरकारी वेबसाइट्स पर चीन और पाकिस्तान समर्थित हैकिंग ग्रुप्स द्वारा साइबर हमले किए गए। इन हमलों का मकसद संवेदनशील सरकारी डेटा चुराना, सर्वर को ठप करना और फेक न्यूज फैलाना था। CERT-In और I4C की सतर्कता से कई हमलों को रोका गया, लेकिन कुछ मामलों में डेटा ब्रीच हुआ।

साइबर अपराध के खिलाफ नई सरकारी योजनाएँ और नीतियां

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंडिया मिशन के तहत भारत सरकार साइबर अपराध से निपटने के लिए कई योजनाएँ लागू कर रही है:
  • डिजिटल साक्षरता बढ़ाना, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को सुलभ बनाना और डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित बनाना है।
  • ई-गवर्नेंस को प्रभावी बनाने और डिजिटल सेवाओं को हर नागरिक तक पहुँचाने का कार्य किया जा रहा है।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 (DPDP Bill 2023)

  • निजी डेटा सुरक्षा और डेटा गोपनीयता को सशक्त बनाने के लिए लाया गया कानून।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नागरिकों के डेटा को संरक्षित करना और अनधिकृत उपयोग को रोकना इसका मुख्य उद्देश्य है।

भारत बनाम अन्य देशों की साइबर सुरक्षा स्थिति

भारत बनाम अमेरिका

अमेरिका में CISA (Cybersecurity and Infrastructure Security Agency) जैसी एजेंसियां साइबर हमलों के खिलाफ उन्नत सुरक्षा उपाय अपनाती हैं। भारत में CERT-In और I4C इस भूमिका को निभा रहे हैं, लेकिन अमेरिका की तुलना में भारत को और मजबूत रणनीति अपनाने की जरूरत है।

भारत बनाम चीन

चीन में गवर्नमेंट-नियंत्रित साइबर डिफेंस सिस्टम है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सख्त साइबर निगरानी रखता है। भारत को भी 5G और AI आधारित साइबर सुरक्षा उपायों को तेज़ी से अपनाने की आवश्यकता है।

यूरोपीय संघ बनाम भारत

यूरोप में GDPR (General Data Protection Regulation) जैसे सख्त डेटा प्रोटेक्शन कानून हैं, जबकि भारत का डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 (DPDP Bill 2023) अभी भी प्रभावी क्रियान्वयन की प्रक्रिया में है, जिसपर सक्रियता से ध्यान देने की जरूरत है।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की राय

राजेश पंत (राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक, भारत सरकार)
“भारत को साइबर सुरक्षा के लिए एक मजबूत रणनीति विकसित करनी होगी, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग आधारित साइबर सुरक्षा समाधान लागू किए जाएं।”
तरुण विजय (साइबर लॉ विशेषज्ञ)
“डेटा प्रोटेक्शन कानून को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए ताकि निजी और सरकारी डेटा लीक को रोका जा सके।”
प्रो. शेखर भोंसले (IIT बॉम्बे, साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर)
“AI और ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग साइबर ठगी को रोकने के लिए किया जाना चाहिए।”

CERT-In और I4C की नई रणनीतियाँ

इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने नए साइबर सुरक्षा दिशानिर्देश जारी किए हैं। सभी डिजिटल सेवा प्रदाताओं को 24 घंटे के भीतर साइबर घटनाओं की रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई है।

साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियानों का विस्तार

भारत सरकार ने National Cyber Security Awareness Month जैसी पहल शुरू की हैं। इसमें आम नागरिकों, सरकारी एजेंसियों और निजी कंपनियों को साइबर खतरों के प्रति जागरूक किया जाता है।

साइबर सुरक्षा: भारत के लिए अगला कदम क्या होना चाहिए?

साइबर अपराधों की बदलती प्रकृति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि डिजिटल सुरक्षा अब केवल एक तकनीकी पहलू नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन चुका है। बढ़ते डीपफेक, रैंसमवेयर, फिशिंग अटैक, और क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी के मद्देनजर, साइबर सुरक्षा को एक राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में देखना आवश्यक हो गया है। साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित आवश्यक कदम उठाएं जाने की जरूरत है –

  • नागरिकों को जागरूक रहना होगा – अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें, संदिग्ध फोन कॉल्स और ईमेल को सत्यापित करें, और बैंकिंग या व्यक्तिगत जानकारी साझा करने में सतर्कता बरतें।
  • सख्त साइबर सुरक्षा कानूनों की आवश्यकता – डेटा सुरक्षा और साइबर अपराध की रोकथाम के लिए GDPR जैसे सख्त कानून भारत में प्रभावी रूप से लागू किए जाएं। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (DPDP Bill) को सख्त क्रियान्वयन के साथ लागू करने की आवश्यकता है।
  • तकनीकी कंपनियों की ज़िम्मेदारी बढ़ानी होगी – AI और मशीन लर्निंग आधारित सुरक्षा उपाय लागू किए जाएं, जिससे फर्जी वेबसाइट्स, डीपफेक वीडियो, और मैलवेयर अटैक को रोका जा सके।
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी (NCSA) की स्थापना – एक स्वतंत्र साइबर सुरक्षा एजेंसी बनाई जाए, जो CERT-In और I4C के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर साइबर हमलों को रोकने और जांचने में सक्षम हो।
  • क्रिप्टोकरेंसी और डार्क वेब पर निगरानी – ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त वित्तीय नियमन लागू किया जाए, जिससे अवैध ट्रांजेक्शन और ऑनलाइन मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाया जा सके।
  • साइबर सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग – भारत को अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और अन्य साइबर सुरक्षा संगठनों के साथ मिलकर साझा खुफिया जानकारी और साइबर हमलों का मुकाबला करने के लिए रणनीति विकसित करनी होगी।
  • डिजिटल इंडिया को सुरक्षित भारत बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत को नए साइबर खतरों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर अत्याधुनिक सुरक्षा रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता है।

साइबर अपराध की रिपोर्टिंग और हेल्पलाइन जानकारी

यदि आप साइबर धोखाधड़ी के शिकार होते हैं, तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: https://cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

इसके अलावा निम्नलिखित प्लेटफार्म पर भी आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है।

  • CERT-In (इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम): https://www.cert-in.org.in
  • RBI की ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी शिकायत पोर्टल: https://cms.rbi.org.in
  • UIDAI (आधार संबंधी धोखाधड़ी की शिकायत): https://uidai.gov.in
  • सोशल मीडिया साइबर क्राइम रिपोर्टिंग: संबंधित प्लेटफॉर्म (Facebook, Twitter, Instagram) के माध्यम से भी आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है।

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