महाकुंभ 2025: आस्था, अध्यात्म और प्रशासन का महासंगम

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खुली किताब रिसर्च टीम द्वारा 

संगम तट पर आस्था का महासागर

अहमदाबाद/प्रयागराज, 27 फरवरी। सूरज की पहली किरण जैसे ही गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पड़ी, पूरा वातावरण ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठा। श्रद्धालुओं का विशाल जनसैलाब अपनी आस्था को अमृत स्नान में बदलने के लिए उमड़ पड़ा। महाकुंभ 2025 के भव्य आयोजन 13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी 2025 (महाशिवरात्रि) तक करीब 66.30 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इसे न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक बना दिया।

फोटो: साभार AP News

शाही स्नान का दृश्य सबसे अद्भुत था। नागा साधुओं की टोलियाँ, भस्म और राख से सजे तपस्वी, भगवा ध्वज फहराते अखाड़े और मंत्रोच्चारण करते संतों का आगमन—सब कुछ किसी भव्य चित्र की तरह जीवंत हो उठा।

जापान से आई अकीको तनाका ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा,
“महाकुंभ में आना मेरे लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा रही। इतनी बड़ी संख्या में भक्तों का एक साथ स्नान करना और शांति का अनुभव करना अविस्मरणीय है।”

वहीं अमेरिका के जॉन मिलर, जो पहली बार महाकुंभ में आए थे, ने कहा,
“भारत की यह परंपरा विश्व में अनूठी है। मैंने पहले कभी ऐसा कुछ अनुभव नहीं किया। यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी।”

स्पेन की मारिया गोंजालेज ने संगम में स्नान करने के बाद कहा,
“यह अनुभव मेरे जीवन के सबसे पवित्र पलों में से एक है। यहाँ की ऊर्जा, भक्ति और शांति को महसूस करना अविश्वसनीय रहा।”

इसी दौरान, ऑस्ट्रेलिया से आए लियाम एंडरसन ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा,
“मैं भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक भक्ति से अभिभूत हूँ। यहाँ की सकारात्मक ऊर्जा और भक्तों का समर्पण देखकर मुझे आध्यात्मिक शांति मिली।”

शाही स्नान: तिथियाँ और आध्यात्मिक महत्व

महाकुंभ के दौरान शाही स्नान विशेष महत्व रखते हैं। इन दिनों में अखाड़ों के साधु-संत, नागा साधु और महंत भव्य जुलूस के साथ संगम तट पर पहुंचकर पवित्र स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि शाही स्नान के दौरान पवित्र नदी में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

फोटो: साभार AP News

महत्वपूर्ण शाही स्नान तिथियाँ

13 जनवरी 2025 – पौष पूर्णिमा
14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि

मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025) सबसे बड़ा शाही स्नान था, जिसमें सबसे अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या पर भगदड़ और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

फोटो: साभार न्यूज तक

दुर्घटना का समय और कारण: 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के अवसर पर, महाकुंभ मेले में संगम तट पर अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। श्रद्धालुओं की भारी संख्या और भीड़ प्रबंधन में कमी के चलते यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।

हादसे में हताहत: इस भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए। हालांकि, विभिन्न स्रोतों के अनुसार मृतकों की संख्या 15 से 79 तक बताई गई है। प्रारंभ में, प्रशासन ने घटना से इनकार किया, लेकिन शाम तक आधिकारिक तौर पर 30 मौतों की पुष्टि की गई।

प्रशासनिक कार्रवाई और सुधार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात कर तत्काल सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए। घटना के बाद, राज्य सरकार ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच के आदेश दिए। भीड़ प्रबंधन में सुधार के लिए, प्रशासन ने वीआईपी पास रद्द कर दिए और वाहनों के प्रवेश पर 4 फरवरी तक प्रतिबंध लगा दिया, जिससे भीड़ नियंत्रण में सहायता मिली।

इस घटना ने महाकुंभ मेले के दौरान भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की पुनः समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया, जिससे भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।

प्रशासन का हाई-टेक प्रबंधन और सुरक्षा निगरानी

फोटो: साभार जनसत्ता

इतने विशाल आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने AI तकनीक, CCTV सर्विलांस, ड्रोन मॉनिटरिंग और डिजिटल मैपिंग जैसी अत्याधुनिक व्यवस्थाएँ लागू कीं।

2000+ CCTV कैमरे और 50+ ड्रोन मॉनिटरिंग द्वारा भीड़ नियंत्रण
100+ फेशियल रिकग्निशन कैमरे, AI-आधारित ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
500+ मोबाइल पेट्रोलिंग यूनिट्स, 10,000 वॉलंटियर्स की सहायता

फोटो: साभार राजुल शर्मा के फेसबुक पेज से

प्रयागराज के एसपी (सुरक्षा) अजय सिंह ने बताया,
“हमारी पुलिस टीम ने हर पल भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखा, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।”

आर्थिक समृद्धि और व्यापार पर प्रभाव

फोटो: साभार न्यूज डेली

महाकुंभ 2025 न केवल आध्यात्मिक बल्कि आर्थिक रूप से भी प्रयागराज के लिए वरदान साबित हुआ

2.5 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित टर्नओवर
10 लाख से अधिक अस्थायी नौकरियाँ
होटल, परिवहन और पर्यटन उद्योग में 150% की वृद्धि

स्थानीय दुकानदार रामसेवक गुप्ता, जो कुंभ मेले में हर साल अपनी दुकान लगाते हैं, ने कहा,
“इस बार व्यापार दोगुना हो गया। होटल, ढाबे, दुकानें—सब कुछ गुलजार रहा। महाकुंभ सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आर्थिक अवसर भी है।”

प्रयागराज के होटल मालिक रवि वर्मा ने बताया,
“महाकुंभ के दौरान होटल पूरी तरह बुक रहे। विदेशी पर्यटकों और देशभर से आए श्रद्धालुओं की भीड़ से होटल व्यवसाय को जबरदस्त बढ़ावा मिला।”

रेस्तरां संचालक सुरेश मिश्रा का कहना है,
“इस महाकुंभ में खाने-पीने की दुकानों पर जबरदस्त भीड़ रही। हमारी बिक्री तीन गुना तक बढ़ गई।”

आर्थिक प्रभाव और महाकुंभ का वित्तीय पक्ष

महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन था, बल्कि यह उत्तर प्रदेश और पूरे देश की आर्थिक वृद्धि और बुनियादी ढांचे के विस्तार का भी महत्वपूर्ण केंद्र बना।

अनुमानित व्यय और बजट आवंटन

महाकुंभ जैसे विराट आयोजन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने बहु-चरणीय बजट आवंटन और खर्च की योजना बनाई।

वित्तीय वर्ष 2022-23: ₹621.55 करोड़

बुनियादी ढांचे की शुरुआत: घाटों, सड़कों, बिजली व्यवस्था और सीवेज प्रबंधन की प्रारंभिक योजना और भूमि अधिग्रहण।

वित्तीय वर्ष 2023-24: ₹2,500 करोड़

मुख्य निर्माण कार्य: टेंट सिटी, अस्पताल, सुरक्षा चौकियां, स्मार्ट ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, हाईटेक निगरानी टावर।

वित्तीय वर्ष 2024-25: ₹2,500 करोड़

फाइनल इन्फ्रास्ट्रक्चर और आयोजन प्रबंधन: AI-आधारित सुरक्षा प्रणाली, CCTV, ड्रोन निगरानी, स्नान घाटों की सुरक्षा, यातायात और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ।

कुल अनुमानित व्यय: ₹6,382 करोड़
केंद्र सरकार ने इसमें ₹2,100 करोड़ की सहायता प्रदान की, जिससे रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, हाईवे और यातायात सुविधाओं को अपग्रेड किया गया।

महाकुंभ 2025 में सेलिब्रिटी और राजनीतिज्ञों की भागीदारी

महाकुंभ 2025 में राजनीतिक, आध्यात्मिक, बॉलीवुड और खेल जगत की कई हस्तियों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इन विशिष्ट मेहमानों की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी भव्य और ऐतिहासिक बना दिया।

प्रमुख राजनीतिक हस्तियाँ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी – 5 फरवरी को संगम स्नान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू – महाकुंभ की पवित्रता में भाग लिया
गृह मंत्री अमित शाह – परिवार संग आस्था की डुबकी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह – भाजपा नेताओं के साथ संगम स्नान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ – आयोजन की समीक्षा और संगम स्नान

बॉलीवुड और मनोरंजन जगत से:

अमिताभ बच्चन – महाकुंभ के विशेष कार्यक्रम में भाग लिया
रणबीर कपूर और आलिया भट्ट – संगम स्नान कर आशीर्वाद लिया
कैलाश खेर – भजन संध्या का आयोजन

हेमा मालिनी की भागीदारी और सोशल मीडिया पर चर्चा

फोटो: साभार news 18

मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025) के दिन  भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में बाबा रामदेव और जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के साथ डुबकी लगाई।

हेमा मालिनी ने कहा:

यह मेरा सौभाग्य है कि इतने करोड़ों लोगों के बीच मुझे भी यहां स्नान का अवसर मिला। धन्यवाद!”

इस दौरान, एक हल्का-फुल्का पल तब आया जब बाबा रामदेव ने स्नान के बाद गीले बाल झटके, जिससे हेमा मालिनी हंस पड़ीं। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और महाकुंभ के आध्यात्मिक माहौल में एक मनोरंजक क्षण के रूप में चर्चित हुआ।

मोदी के ट्रैकसूट स्नान पर सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया और राजनीतिक बहस

फोटो: साभार पंजाब केशरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 5 फरवरी को संगम में स्नान किया, तो यह केवल धार्मिक और आध्यात्मिक चर्चा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके परिधान ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चटकारे और कटाक्ष की गूंज भर दी।

मोदी ने पारंपरिक धोती या कुर्ता-पायजामा की जगह ट्रैकसूट पहनकर डुबकी लगाई, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मीम्स और व्यंग्य की बाढ़ आ गई।

राजनीतिक आलोचकों ने इस वाकये को 2017 में संसद में दिए गए मोदी के बयान से जोड़ दिया, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर तंज कसते हुए कहा था कि ‘मनमोहन सिंह बाथरूम में भी रेनकोट पहनकर नहाते हैं।’

इसकी तुलना करते हुए विपक्षी नेताओं ने मोदी पर कटाक्ष किया और कहा कि अब खुद मोदी ने ‘ट्रैकसूट पहनकर स्नान’ कर लिया।

सोशल मीडिया पर ट्रेंड:
  • “#RaincoatVsTracksuit”
  • “#ModiKumbhSnan”
  • “#Kumbh2025Fashion”

विपक्ष के नेताओं की टिप्पणी:

फोटो: साभार ABP news 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तंज कसा: “जो दूसरों को रेनकोट पहनकर नहाने का ताना देते थे, वे खुद ट्रैकसूट में स्नान कर रहे हैं।”

सपा प्रमुख अखिलेश यादव का व्यंग्य: “महाकुंभ आत्मशुद्धि का पर्व है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह फोटोशूट का अवसर बन गया है।”

 यह वाकया महाकुंभ 2025 का एक ऐतिहासिक चर्चा का विषय बन गया, जिसने धार्मिक और प्रशासनिक चर्चा से अलग राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी।

प्रशासनिक कर्मचारियों,सफाईकर्मियों और सुरक्षा बलों का योगदान

फोटो: साभार upnews 9

इतने बड़े आयोजन को सफल बनाने में प्रशासनिक कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और सफाईकर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही।

50,000+ पुलिसकर्मियों की तैनाती
12,000 सफाईकर्मियों द्वारा 24×7 स्वच्छता अभियान
हजारों प्रशासनिक कर्मचारियों ने लगातार काम किया

महाकुंभ में स्वच्छता बनाए रखने में लगे सफाईकर्मी हरीश यादव ने कहा,
“हमने दिन-रात मेहनत की ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छता का अनुभव मिले। यह हमारे लिए गर्व की बात है।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान

फोटो: साभार ABP News

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,

“महाकुंभ में जिसने जो तलाशा, उसे वही मिला। गिद्धों को केवल लाश मिली, सूअरों को गंदगी मिली, संवेदनशील लोगों को रिश्तों की खूबसूरत तस्वीर मिली, आस्थावानों को पुण्य मिला, सज्जनों को सज्जनता मिली, भक्तों को भगवान मिले…”

महाकुंभ 2025: एक ऐतिहासिक अध्याय

महाकुंभ 2025 ने न केवल भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित किया, बल्कि तकनीकी नवाचार, प्रशासनिक रणनीति और आर्थिक प्रगति का भी एक नया मॉडल प्रस्तुत किया।

66.30 करोड़ श्रद्धालुओं की भागीदारी ने इतिहास रच दिया।
अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिली।
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों ने भारत की आध्यात्मिक शक्ति को पहचाना।

क्या महाकुंभ 2025 एक नई मिसाल बना?
समय इस सवाल का उत्तर देगा, लेकिन इतना तय है कि यह “खट्टा–मीठा और कड़वा” आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमिट छाप छोड़ गया।

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