खुली किताब की पड़ताल
भारत में डिजिटल क्रांति ने न केवल सरकारी नीतियों और विदेशी कूटनीति को नई दिशा दी है, बल्कि जमीनी स्तर पर भी व्यापक बदलाव लाए हैं। डिजिटल कूटनीति, जिसे e-diplomacy कहा जाता है, ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी है। अब यह केवल नीति निर्माताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि आम नागरिकों की दैनिक ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है।
‘खुली किताब‘ की टीम ने इस रिपोर्ट को तैयार करते समय विभिन्न सामाजिक, सरकारी और अर्धसरकारी प्रयासों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। यह रिपोर्ट भारत की डिजिटल क्रांति के उन पहलुओं को उजागर करती है जो आमतौर पर मुख्यधारा की मीडिया में नहीं दिखाए जाते।
जमीनी बदलाव की शुरुआत: अहमदाबाद का उदाहरण
अहमदाबाद के वस्त्रापुर लेक के इर्द-गिर्द हमने देखा कि कैसे छोटे व्यापारी, जैसे कि पानी की बोतल बेचने वाले युवक-युवतियाँ, भी डिजिटल भुगतान के युग में कदम रख चुके हैं। उनके गले में लटकते QR कोड स्कैनर यह दर्शाते हैं कि डिजिटल तकनीक अब समाज के हर वर्ग में पहुँच चुकी है। डिजिटल भुगतान अब सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि कस्बों और ग्रामीण इलाकों तक भी फैल रहा है।
डिजिटल आमंत्रण कार्ड: परंपरा और तकनीक का मेल
बड़े शहरों से लेकर कस्बों तक डिजिटल बदलाव सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और पारिवारिक परंपराओं में भी नई दिशा दे रहा है। अब लोग पारंपरिक तरीके से छपने वाले शादी और पारिवारिक कार्यक्रमों के कार्ड की बजाय डिजिटल आमंत्रण कार्ड भेजना पसंद कर रहे हैं।
WhatsApp, Email और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे Facebook और Instagram पर भेजे गए यह डिजिटल आमंत्रण सिर्फ सुविधा प्रदान नहीं करते, बल्कि समय और लागत की भी बचत करते हैं।
यह तकनीकी बदलाव न केवल आधुनिकता की निशानी है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भी प्रतीक बन गया है क्योंकि इससे कागज़ की खपत में कमी आती है।
सामाजिक संस्थाओं की भूमिका: डिजिटल जागरूकता की जमीनी लड़ाई
डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए अहमदाबाद में श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भाताघर कमिटी और श्री झालावाड़ मूर्तिपूजक जैन सेवा समाज ट्रस्ट ने 22-23 फरवरी 2025 को एक दो दिवसीय सेमिनार आयोजित किया। इस सेमिनार में महिलाओं को डिजिटल कौशल प्रदान करने के लिए Skill Spark Education की संस्थापक सोनल संघवी द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
इस प्रशिक्षण में निम्नलिखित कौशलों पर फोकस किया गया:
- ऑनलाइन भुगतान ऐप्स (GPay, PhonePe) का उपयोग।
- ऑनलाइन खरीदारी (Amazon, Myntra)।
- रेलवे और फ्लाइट टिकट बुकिंग (IRCTC, MakeMyTrip)।
- डिजिटल दस्तावेज़ों की सुरक्षा (DigiLocker, Google Drive)।
- सोशल मीडिया का रचनात्मक उपयोग (Instagram, YouTube)।
रूमा चिराग शाह, जिन्होंने इस सेमिनार में भाग लिया, ने ‘खुली किताब‘ से बातचीत में कहा:
“यह प्रशिक्षण हमारे लिए डिजिटल दुनिया में आत्मनिर्भर बनने का एक नया रास्ता खोल रहा है। अब हम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं।”
सरकारी प्रयास और आँकड़े
भारत सरकार की डिजिटल इंडिया मिशन और मेक इन इंडिया जैसी पहलों ने डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार:
ग्रामीण भारत में डिजिटल साक्षरता की दर 35% तक पहुँच चुकी है।
शहरी क्षेत्रों में यह दर 70% से अधिक है।
MeitY (Ministry of Electronics and Information Technology) द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों ने 3 करोड़ से अधिक नागरिकों को डिजिटल प्रशिक्षण प्रदान किया है।
डिजिटल बदलाव की दिशा
भारत की डिजिटल क्रांति अब केवल एक सरकारी योजना नहीं रह गई है, यह समाज के हर वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी है। अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों से लेकर कस्बों और छोटे गाँवों तक, डिजिटल बदलाव की यह लहर सभी को साथ लेकर चल रही है।