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धर्म परिवर्तन के बाद पैतृक संपत्ति से बेदखली, जान से मारने की धमकी!

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Bureau Report

रतलाम, 12 फरवरी – अपने पूर्वजों के सनातन वैदिक धर्म में वापसी करना एक व्यक्ति के लिए संकट का सबब बन गया है। पैतृक संपत्ति में अधिकार मांगने पर उसे न केवल बेदखल किया जा रहा है, बल्कि रिश्तेदार ही उसकी जान के दुश्मन बन गए हैं।

यह मामला मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की पिपलौदा तहसील के ग्राम श्यामपुरा का है, जहां राज जोशी (पूर्व में उस्मान शाह) को परिवार के ही कुछ सदस्यों ने संपत्ति से वंचित कर दिया है। पांच साल पहले स्वेच्छा से सनातन धर्म अपनाने वाले राज जोशी का कहना है कि अब उन्हें उनकी पैतृक संपत्ति से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

कलेक्टर और पुलिस से लगाई गुहार

राज जोशी ने इस अन्याय के खिलाफ कलेक्टर, एसपी, एसडीएम और थाना प्रभारी को लिखित शिकायत दी है। उनका आरोप है कि उनके चाचा और बुआ के परिवार के सदस्य उन्हें पैतृक जमीन और मकान में हिस्सा देने को तैयार नहीं हैं। जब भी वह अपनी जमीन का हक मांगते हैं, तो उन्हें धमकियां दी जाती हैं और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।

राज जोशी ने बताया, “मुझे साफ कहा गया कि अगर मुझे मार भी दिया गया, तो कोई हिंदू संगठन मेरा साथ नहीं देगा, क्योंकि मैंने इस्लाम छोड़ दिया है।”

70 बीघा जमीन और मकान का हक़ छीना!

शिकायत के अनुसार, श्यामपुरा गांव में स्थित 70 बीघा कृषि भूमि और जावरा के जेल रोड स्थित पैतृक मकान में राज जोशी का अधिकार बनता है। उनका कहना है कि 30-35 साल पहले ही पारिवारिक संपत्ति का बंटवारा हो चुका था और परिवार के अन्य सदस्य उनके हिस्से को देने को राज़ी हैं, लेकिन चाचा और बुआ के परिवार के लोग हक देने से इनकार कर रहे हैं।

सुरक्षा की मांग, अन्यथा रिश्तेदार होंगे जिम्मेदार

लगातार मिल रही धमकियों के चलते राज जोशी ने प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उन्हें आशंका है कि किसी भी दिन उनके साथ अनहोनी हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो इसके जिम्मेदार उनके रिश्तेदार ही होंगे।

क्या प्रशासन देगा न्याय?

यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। क्या राज जोशी को उनका हक मिलेगा या उन्हें इसी तरह धमकियों के साए में जीना पड़ेगा? यह मामला धार्मिक स्वतंत्रता और पारिवारिक संपत्ति के अधिकारों से जुड़ा होने के कारण संवेदनशील भी बन गया है। क्या धर्म परिवर्तन के बाद किसी व्यक्ति को संपत्ति के अधिकार से वंचित किया जा सकता है? 

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