किसी भी कार्य को करने के लिए ये जरूरी है कि, हम उसे सोल कांशियसनेस में रहकर करें क्योंकि ऐसे में हम अपनी आंतरिक शांति, प्रेम और आनंद की अवस्था से जुड़े होते हैं। साथ ही हमें जीवन में हर कदम पर परमात्मा का साथ सदा अनुभव करना चाहिए, क्योंकि उनके साथ के बिना हम अपने कार्यों में सफल नहीं हो सकते, खासतौर पर हमारे रिश्तों और कार्य-व्यवहार में; हमें आत्मा और परमात्मा दोनों की शक्तियों की जरूरत होती है। इसलिए ज़रूरी है कि सबसे पहले हम स्वयं पॉजिटिव रहें, ताकि हम दूसरों को अपने व्यवहार और एनर्जी से संतुष्ट कर पाएं।
यदि हम चाहते हैं कि, दूसरे हमारे सुझाव माने और जैसा हम चाहते हैं वैसे ही कार्य करें तो सबसे पहले हमें खुद के अंदर अच्छाइयों को धारण करना होगा, क्योंकि ऐसा करने से हम जो भी कार्य करेंगें उसमें बहुत जल्दी सफलता मिलेगी। उदाहरण के लिए; माना आपके परिवार का कोई सदस्य आपकी बात नहीं मानता है और आपके विपरित कार्य करता है और न ही आपके साथ उसके अच्छे सम्बंध हैं और वो हमेशा किसी न किसी बहाने से आपकी राय मानने से इंकार कर देता है, और आप कई महीनों से उस व्यक्ति के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं पर आपको सफलता प्राप्त नहीं हो रही है।
अब ऐसी स्थिति में आपको खुद को पहले से ज्यादा मिलनसार, सहनशील और विनम्र बनाने की दिशा में कार्य करना होगा। तब आप देखेंगे कि, जो चीज आप लंबे समय से हासिल नहीं कर पाए थे, अचानक ही वो बहुत कम समय में पॉसिबल हो जाएगी। और इसका कारण होगा; आपके अंदर आया हुआ बदलाव जो उस व्यक्ति को भी बदलने के लिए प्रेरित करेगा जोकि आपके लगातार समझाने के बाद भी संभव नहीं हो पा रहा था। अतः याद रखें, कि जब हम बदलेंगे तब दूसरे बदलेंगे और जब तक हम ऐसा नहीं करते हैं तब तक दूसरों को बदलना सबसे मुश्किल और नामुमकिन कार्य होगा। इसलिए खुद को बदलें और दूसरों के लिए भी एक उदाहरण बनें।