जब हम बदलेंगे तब दूसरे लोग भी बदलेंगे (भाग 1)

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गांधीनगर। हम सभी अपने जीवन में कई तरह के रिश्ते निभाते हैं जिनकी वजह से हमें कई तरह की चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है और ऐसे में हमारे मानसिक शक्ति की भी परख होती है क्योंकि रिश्ते हमारी आशाओं/ अपेक्षाओं से अलग होते हैं। कभी-कभी, हमें दूसरों की हमारे प्रति रखी गई आशाओं से बोझ महसूस होता है जिसके कारण उनसे डील करना बहुत मुश्किल हो जाता है। साथ ही, हमारा खुद के जीवन के प्रति रुझान इतना कम हो जाता है, जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते। आइए ऐसी स्थिति को एक कहानी के उदाहरण द्वारा समझते हैं; एक बार एक राजा था, जिसका साम्राज्य बहुत बड़ा था और उसके राज्य में अलग-अलग तरह के लोग रहते थे, जिनका न सिर्फ कार्य करने का तरीका अलग था, बल्कि उनके व्यक्तित्व और संस्कार भी अलग-अलग थे। कभी-कभी राजा को ये महसूस होता था कि, वो इतने सारे लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाएगा, क्योंकि उसके प्रति हर किसी की आशाएं अलग-अलग थीं। इसके अलावा, उसकी खुद की आशाएं उन सभी लोगों से इतनी ज्यादा थीं कि, उसके लिए शांति और आंतरिक स्थिरता को बनाए रखना मुश्किल होता था। फिर एक दिन राज्य के मंत्री ने राजा को ये सुझाव दिया कि – राजा को हर एक व्यक्ति की इच्छाओं के बारे में और वे क्या चाहते हैं यह न सोचकर, इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि, किस तरह से वो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके अपने रोल को अच्छी तरह से निभा सकते हैं। और साथ ही जो जैसे हो रहा है उसे उसी तरह से होने दें।

इसलिए, कई बार हमें दूसरों को बदलने की जगह इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि, हम स्वयं में कैसे बदलाव लाएं जिससे हमें अच्छे परिणाम प्राप्त हों। क्योंकि हमारे अंदर आए बदलाव से दूसरों को भी बदलने की प्रेरणा मिलती है। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि, हर एक व्यक्ति हमारी सोच के अनुसार कार्य या व्यवहार नहीं कर सकता, लेकिन जब हम दृढ़ता से अपने व्यवहार में परिवर्तन लाते हैं, तो समय के साथ-साथ हमारे बदलाव को देखकर उन्हें भी अपनी गलतियों का एहसास होता है और फिर वे भी हमारी इच्छाओं के अनुसार व्यवहार करने लगते हैं ।

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